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सियासत
| बड़ा आर्टिकल
लोकेन्द्र सिंह राजपूत
@5745259062180641
बाबा साहेब के व्यक्तित्व में दिखता है बचपन में मिले धार्मिक संस्कारों का प्रभाव
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का बचपन अत्यंत संस्कारी एवं धार्मिक वातावरण में बीता. उनके परिवार के तीन सदस्यों ने संन्यास आश्रम को चुना.पिताजी ने कालान्तर में कबीरपंथ की दीक्षा ली. उनके घर में रामायण, पाण्डव प्रताप, ज्ञानेश्वरी एवं संत साहित्य का नित्य पाठ होता था.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
मृगांक शेखर
@msTalkiesHindi
राहुल गांधी को नोटिस भिजवा कर बीजेपी नेताओं ने गलती कर दी
अदानी ग्रुप के कारोबार (Adani Business Issue) को लेकर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अपने स्टैंड पर कायम तो हैं ही, विशेषाधिकार हनन के नोटिस (Breach of Privilege Notice) का जवाब देने के बाद तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ और भी आक्रामक हो गये हैं - बीजेपी को कोई फायदा हुआ क्या?
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
Gandhi Godse EK Yudh कुलमिलाकर ये बता रही है कि गांधी को मारने वाले गोडसे का भी एक पक्ष है!
गांधी गोडसे एक युद्ध के ट्रेलर से इतना तो साफ़ है कि गांधी अपनी जगह सही थे. गोडसे अपनी जगह. बाकी कैरेक्टर का चयन छोड़ दें तो ट्रेलर बता रहा है बहुत दिन बाद दर्शकों को पर्दे पर कुछ बढ़िया देखने को मिलेगा. इस ट्रेलर के बाद इतना तो तय है कि गोडसे को आने वाले वक़्त में एक अलग पहचान दिलाएगी ये फिल्म.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
चीन-ताइवान मुद्दे पर नेहरू-वाजपेयी को लाकर सुब्रमण्यम स्वामी ने पूरी बहस का रुख मोड़ दिया है!
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि भारतीयों ने जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी की मूर्खता के कारण तिब्बत और ताइवान को चीन का हिस्सा मान लिया. जैसी बातें स्वामी ने की हैं सवाल ये हैं कि क्या देश और देश की जनता उसे पचा पाएंगे?
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
गांधी-नेहरू का नाम लेकर बुलडोजर नीति पर सवाल क्यों खड़े किए जा रहे हैं?
खुद को सोशल एक्टिविस्ट बताने वाले प्रयागराज हिंसा (Prophet remark row) के मास्टरमाइंड जावेद अहमद पंप के घर को प्रशासन ने बुलडोजर से ढहा दिया. जिसके बाद जावेद पंप के खिलाफ योगी सरकार की कार्रवाई को गलत साबित करने का माहौल बनाया जाने लगा है. और, इसके लिए उदाहरण गांधी-नेहरू (Gandhi Nehru) का दिया जा रहा है.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
आर.के.सिन्हा
@RKSinha.Official
क्यों हमें याद रखना चाहिए बाबा साहेब अंबेडकर के उन अनाम साथियों को...
बाबा साहेब अंबेडकर के 1940 के दशक के आरंभ में दिल्ली शिफ्ट करने के बाद से लेकर उनके 1956 में निधन तक उनके साथ तीन-चार अनाम लोग उनकी छाया की तरह रहे. वे उनके भाषणों को नोट करते रहते या फिर उनकी लाइब्रेयरी को देखते. बाबा साहेब के परिनिर्वाण दिवस के बाद ये सब बाबा साहेब के विचारों को फैलाते रहे.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
आर.के.सिन्हा
@RKSinha.Official
Subhash Chandra Bose Birthday : नेताजी सुभाष होते तो रूकवा देते देश का दुर्भाग्यपूर्ण बंटवारा!
Subhash Chandra Bose Birthday: क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1947 में जीवित होते तो पाकिस्तान का सपना कभी भी हकीकत में बदलता? क्या वे मोहम्मद अली जिन्ना को समझा पाते कि भारत के बंटवारे से किसी को कुछ लाभ नहीं होगा? आज यानी 23 जनवरी को उनका जन्मदिन है ऐसे में ये सवाल अपने आप में महत्वपूर्ण हैं.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
अंकिता जैन
@ankita.jain.522
बच्चों को एक ही डंडे से हांकने की जगह स्कूलों में उनके इंटरेस्ट का ध्यान रखें शिक्षक
हमें यह पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए कि हमारा बच्चा किस तरह जल्दी सीखता है. क्या वह सुनकर जल्दी सीखता, या वह पढ़कर या दोहराकर जल्दी सीखता है या फिर वह देखकर जल्दी सीखता है. यही कारण है कि क्लास में तो टीचर सबको एक जैसा पढ़ाते हैं लेकिन सब अलग-अलग क्षमता से उसे ग्रहण कर पाते हैं.
सियासत
|
बात की बात...
| 5-मिनट में पढ़ें
धीरेंद्र राय
@dhirendra.rai01
डॉ. राधाकृष्णन का जन्मदिन टीचर्स डे के रूप में मनाना, शिक्षक के मान से ज्यादा नेता का सम्मान है
राष्ट्रपति बनने के बाद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने कुछ शिष्यों को सलाह दी कि वे उनका बर्थडे सेलिब्रेट करने के बजाए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teachers Day) के रूप में मनाएं. लेकिन, शिक्षक और शिष्य के बीच हुई ये चर्चा तत्कालीन सरकार के राष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा कैसे बन गई?